About Me
- Saeed Ahmad
- Saeed Ahmad, Date of Birth : August 09, 1963 Birth Place : Kanpur Marital Status : Married Cadre : NCC Profession : Journalism (Media consultant, Web & Print)
Thursday, 11 June 2015
इक एहसास गैर राजनैतिक समाजसेवी संस्था Non Governing Organisation है। अपने नाम के अनुरूप यह संस्था समाज की अंतिम कतार में खड़े वर्ग के बारे में विचार करती है, इस वर्ग के उत्थान के लिए योजनायें बनाती है और उनके क्रियान्वयन का भरसक प्रयास करती है। संस्था के नाम में व्याकरण के लिहाज से खामी नजर आती है, लेकिन इस खामी का भी एक मकसद है। क्योंकि एक को इक लिखा गया है। दरअसल यह जानबूझकर किया गया है। क्योंकि इक से मकसद सम्पूर्ण एक न होकर तनिक मात्र से है, थोडा से है। भाषाई स्तर पर एक शुद्ध तो है, परन्तु उसमे कठोरता दिखती है। जबकि इक में लचीलापन, अपनापन और गैर बनावट प्रतीत होती है। इसमें गुजारिश और मोहब्बत का पैगाम नजर आता है। संस्था का उद्देश्य भी यही है कि प्राणी मात्र के लिए प्राणियों में तनिक भी एहसास जगा देना।
संस्था समाज के विभिन्न वर्गों, बुजुर्गों, महिलाओं, अनाथ बच्चों, तथा जानवरों के लिए आश्रम, अनाथालय, पशुशालाओं का निर्माण तो करने के साथ पुस्तकालय, शिक्षा एवं प्रशिक्षण केन्दों का निर्माण तो करना ही चाहती है। लेकिन इस संस्था की मुख्य विशेषता है समाज में तिरस्कृत, अपनों से ठुकराए, दूसरों की गालियों के बदले दुआएं देने वाले पुरुष काया में महिला मन लिए किन्नर समुदाय भी हैं। संस्था ने इस समुदाय के लिए कार्य योजनायें बनाई है, जिनका क्रियान्वयन हम-आप और किन्नर समुदाय मिलकर करेंगे। किन्नर किसी किन्नर की कोख से जन्म नहीं लेता, बल्कि उसको जन्म देने वाला यही पुरुष और महिलाएं ही होती है। लेकिन सामाजिक कुंठाओं के चलते यह अपने माता-पिता, भाई-बहिनों से दूर होकर अनजान किन्नर समाज में शरण लेते है। इन्हें पुरुष और महिला से भिन्न होने के नाते अपने परिवारों का परित्याग करना पड़ता है। माँ-बाप, भाई-बहिन होते हुए भी बिन माँ-बाप, भाई-बहिन और नाते रिश्तेदारों के जिंदगी गुजारनी पड़ती है। इनके लिए रिश्ते नाते बे मायने हो जाते है। समाज इन्हें तिरस्कार और उपहास का साधन मान लेता है। इसके बावजूद यह उस समाज को दुआएं देने का कोई मौका नहीं छोड़ते।
इक एहसास संस्था ने इस वर्ग के रोटी, कपडा, मकान, सुरक्षा और सम्मान के लिए कार्य योजनाये बनाई है। जिसमे शिक्षा ( शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, साक्षरता अभियान, विभिन्न तकनीकी प्रशिक्षण, कौशल विकास कार्यशालाए चलाकर रोजगार परक ज्ञान देना है। संस्था इनके लिए और इनके द्वारा कई योजनाओं को चला रही है।
संस्था इक एहसास के अंग्रेंजी भाषा EK-EHSAS के प्रत्येक अक्षर में अपनी योजनाओं को सजोयें हुए है। संस्था अपने अंग्रेजी नाम के प्रथम अक्षर E का पर्याय EMPLOYMENT (रोजगार) और दुसरे अक्षर K का पर्याय KNOWLEDGE (ज्ञान) से हैं। तीसरे अक्षर E का पर्याय EDUCATION (शिक्षा), चौथे H का HEALTH (स्वास्थ्य) पांचवे S का SOCIAL (सामाजिक) छठे A का AWARENESS (जागरूकता) और अंतिम S का SOCIETY (समिति) है। अर्थात EMPLOYMENT KNOWLEDGE - EDUCATIONAL, HEALTH, SOCIAL, AWARENESS SOCIETY (रोजगार परक ज्ञान- शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक जागरूकता समिति) से है। संस्था अपने नाम और नाम के प्रत्येक अक्षर के मायनों के अनुरूप योजनाओं पर कार्य करने के लिए आपको आमंत्रित करती है।
अभी तीन योजनाये कार्यशील है।
जिनमे प्रथम हाथ मिलन योजना हैं। इस योजना के तहत संस्था आपको सदस्यता के लिए आमंत्रित करती है। संस्था की सदस्यता को चार भागों में बांटा गया है। साधारण सदस्य, सक्रिय सदस्य, सम्मानित सदस्य और आजीवन सदस्य।
साथ चलन योजना- इसके तहत संस्था की योजनाओं में आर्थिक भागीदारी और सहयोग से है।
आप सहन योजना- इसके तहत कोई भी व्यक्ति, समूह आदि योजनाओं को स्पांसर कर सकता है।
इसके अतिरिक्त संस्था समाज से भिक्षाव्रती को समाप्त करने के लिए कार्य करती है। इसमें आपको सिर्फ अपनी रद्दी, कबाड़ जैसे अखबारी कागज़, कापी-किताब, मैगजीन, पुराने कपडे, बर्तन, फर्नीचर,जूते-चप्पल, खिलौने, इलेक्ट्रिक एवं इलेक्ट्रानिक सामान आदि को संस्था के हवाले कर दे। जिसे संस्था के लक्षित वर्ग नए रूप में परिवर्तित कर उपयोगी बनायेंगे। उनकी उपयोगिता अनुसार उस वर्ग को पुरुस्कृत किया जाएगा। जिससे हतोत्साहित वर्ग में उत्साह का संचार होगा वहीं आपके प्रयास से भिखारी कारीगर बन जाएगा।
हाथ-साथ योजना- अकेले पद चुके किन्नर में परिवार की कमी दूर करने के उद्देश्य से हाथ-साथ योजना है। इस योजना के तहत किसी अनाथ बच्चे की परवरिस और उसकी शिक्षा की जिम्मेदारी किन्नर या कोई अन्य ले सकता है। जिसकी निगरानी संस्था करेगी।
कला का सिला- इसके तहत किन्नर समुदाय सहित समाज के अन्य वर्ग में छिपी प्रतिभा जैसे नृत्य, संगीत, रूपसज्जा आदि को निखार, कौशल विकास कर स्वालंबी बनाना हैं।
जल, वायु, पशु, पक्षी संरक्षण योजना- यह योजना काफी व्यापक है। इसके तहत जहां जल संरक्षण के लिए विभिन्न कार्य योजनायें हैं, वहीं वायु यानी कि पर्यावरण के लिए भी पौधारापण योजना है। इसमें उपलब्ध भूमि, या किसी शमसान, कब्रिस्तान पर पौधा लगाना, उनको संरक्षित करना हैं। इसमें आने वाली लागत को स्पांसर शिप (प्रायोजक) पर चलाया जाता है। इस पौधे का नाम प्रायोजक अथवा उसके सुझाए गए नाम पर रखा जाता है।
पशु-पक्षी संरक्षण के तहत जिन पशुओं और पक्षियों को लावारिस छोड़ दिया जाता है। उनके आश्रय, उनके चिकत्सालय की व्यवस्था की जाती हैं।
संस्था रूपसज्जा, सिलाई-कढ़ाई और बुनाई एवं टाइपिंग कला प्रशिक्षण केंद्र सहित पत्रकारिता कोर्स भी चलाती है। स्वालंबन एवं व्यवसायिक गतिविधियों के तहत कोरियर सेवा भी चलाती है।
संस्था आपके सुझाव एवं सहयोग से और भी बहुत योजनाओं का क्रियान्वयन करना चाहती है। आइये मिलकर चले क्योंकि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
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