ऐ माँ ; ओ बापू, दीदी और भईया, आपका ही बेटी या बेटा था,
पशु नही जन्मा था परिवार में, आपके ही दिल का, चुभता सा टुकड़ा हूँ ,
क्यों कि मै हिजड़ा हूं।
कोख की धरती पर आपने रोपा था, नौ माह जीवन सत्व चूसा तुमसे मॉ,
फलता भी पर कटी गर्भनाल जड़ से उखाड़ा हूं, क्यों कि मै हिजड़ा हूं।
लज्जा का विषय क्यों हूं मॉ मेरी, अंधा,बहरा या मनोरोगी तो नही था मै,
मै ही बस ममतामयी गोद से बिछड़ा हूं, क्यों कि मै हिजड़ा हूं।
अर्ध नारीश्वर भी भगवान का रुप मान्य है, हाथी,बंदर,बेल सब देव तुल्य पूज्य है,
मै तो मानव होकर भी सबसे पिछड़ा हूं, क्यों कि मै हिजड़ा हूं।
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