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Saeed Ahmad, Date of Birth : August 09, 1963 Birth Place : Kanpur Marital Status : Married Cadre : NCC Profession : Journalism (Media consultant, Web & Print)

Thursday, 11 June 2015

किन्नरों को ‘तृतीय लिंग’ पहचान

किन्नरों को ‘तृतीय लिंग’ पहचान देश के वैदिक और पौराणिक साहित्य में ‘तृतीय प्रकृति’ के रूप में अपनी पहचान रखने वाले और ‘रामायण’ एवं ‘महाभारत’ काल से ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले ‘किन्नर-समुदाय’ की सुधि अंततः उच्चतम न्यायालय को ही लेनी पड़ी। न्यायालय ने अपने एक ऐतिहासिक निर्णय के द्वारा इस समुदाय को न केवल ‘तृतीय लिंग’ की पहचान देने बल्कि उन्हें सभी ‘विधिक’ और ‘संविधानिक-अधिकार’ भी प्रदान करने का निर्देश केंद्र सरकार एवं देश की राज्य सरकारों को दिया है। वास्तव में यह कार्य तो विधायिका का था, किंतु आजादी के छह दशक बाद भी ऐसा नहीं किया जा सका और इस रिक्तता की पूर्ति अंततः न्यायिक निर्णय के द्वारा उच्चतम न्यायालय को करनी पड़ी। ‘राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण’ (नाल्सा) बनाम भारत संघ और अन्य (2014)के मामले में उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति के।एस। राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति ए।के। सीकरी की खंडपीठ ने यह निर्णय 15 अप्रैल, 2014 को दिया। यह निर्णय इसलिए भी याद किया जाएगा कि इस निर्णय और निर्देश का विस्तार उन व्यक्तियों पर भी किया गया है जो आधुनिक शल्य-क्रिया के द्वारा अपना लिंग परिवर्तन करा लेते हैं।

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