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Saeed Ahmad, Date of Birth : August 09, 1963 Birth Place : Kanpur Marital Status : Married Cadre : NCC Profession : Journalism (Media consultant, Web & Print)

Thursday, 11 June 2015

किन्नर

किन्नर किन्नर हिमालय के क्षेत्रों में बसने वाली एक मनुष्य जाति का नाम है। इस जाति के प्रधान केंद्र 'हिमवत' और 'हेमकूट' थे। किन्नर हिमालय में आधुनिक कन्नोर प्रदेश के पहाड़ी कहे जाते हैं, जिनकी भाषा कन्नौरी, गलचा, लाहौली आदि बोलियों के परिवार की है। 'पुराण' तथा 'महाभारत' आदि की कथाओं में किन्नरों का उल्लेख कई स्थानों पर हुआ है। उल्लेख पुराणों और महाभारत की कथाओं एवं आख्यानों में तो किन्नरों की चर्चाएँ प्राप्त होती ही हैं, 'कादंबरी' जैसे कुछ साहित्यिक ग्रंथों में भी उनके स्वरूप, निवास क्षेत्र और क्रियाकलापों के वर्णन मिलते हैं। जैसा कि उनके नाम ‘किं+नर’ से स्पष्ट है, उनकी योनि और आकृति पूर्णत: मनुष्य की नहीं मानी जाती। संभव है किन्नरों से तात्पर्य उक्त प्रदेश में रहने वाले मंगोल रक्त प्रधान, उन पीत वर्ण लोगों से हो, जिनमें स्त्री-पुरुष-भेद भौगोलिक और रक्तगत विशेषताओं के कारण आसानी से न किया जा सकता हो। उत्पति विचार किन्नरों की उत्पति के विषय में निम्नलिखित दो प्रवाद हैं- ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा की छाया अथवा उनके पैर के अँगूठे से किन्नर उत्पन्न हुए। 'अरिष्टा' और 'कश्पय' किन्नरों के आदिजनक थे। महत्त्वपूर्ण तथ्य हिमालय का पवित्र शिखर 'कैलाश' किन्नरों का प्रधान निवास स्थान था, जहाँ वे भगवान शंकर की सेवा किया करते थे। उन्हें देवताओं का गायक और भक्त समझा जाता है, और यह विश्वास है कि यक्षों और गंधर्वों की तरह वे नृत्य और गान में प्रवीण होते थे। विराट पुरुष इंद्र और हरि उनके पूज्य थे। पुराणों का कथन है कि कृष्ण का दर्शन करने वे द्वारका तक गए थे। सप्तर्षियों से उनके धर्म जानने की कथाएँ प्राप्त होती हैं। उनके सैकड़ों गण थे और चित्ररथ उनका प्रधान अधिपति था। 'शतपथ ब्राह्मण' में अश्वमुखी मानव शरीर वाले किन्नर का उल्लेख है। बौद्ध साहित्य में किन्नर की कल्पना मानवमुखी पक्षी के रूप में की गई है। मानसार में किन्नर के गरुड़ मुखी, मानव शरीरी और पशुपदी रूप का वर्णन है। इस अभिप्राय का चित्रण भरहुत के अनेक उच्चित्रणों में हुआ है।

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