About Me
- Saeed Ahmad
- Saeed Ahmad, Date of Birth : August 09, 1963 Birth Place : Kanpur Marital Status : Married Cadre : NCC Profession : Journalism (Media consultant, Web & Print)
Thursday, 11 June 2015
व्यथा किन्नर की
मालिक, तूने मुझको जहां में, आधा अधूरा पैदा किया है। नर ही बना न नारी मैं तो, कैसा जीवन मुझको दिया हैं।
माँ ने त्यागा पैदा करके, पिता ने फेका व्यर्थ समझ के, गैरों की छाती से मैंने , दूध का पहला घूँट पिया हैं।
मालिक, तूने.......
सौंप दिया मुझे किन हाथो में, जहां ममता प्यार को तरसी थी। नुपुर ध्वनि, ढोलक की थाप ने, बचपन मेरा छीन लिया है।
मालिक, तूने.......
यौवन की दहलीज पे आके, अपने सपने मन में दबा के। गैरों की खुशियों को मैंने, जीवन अपना भेंट किया हैं।
मालिक, तूने.......
तिरस्कार के प्रतिकार में, मैंने बांटी है आशीषे, भाग्य में मेरे दाता तूने, ये कैसा संजोग किया है।
मालिक, तूने.......
कोई नहीं है भाई हमारा, कोई हमारी बहन नहीं है। मित्र भी मुझको नहीं मिलता है, कौन सा मैंने पाप किया है।
मालिक, तूने.......
हाड मास का पुतला नहीं मै, मै भी एक इंसान हूँ। मेरे सीने भी दिल है, फिर क्यों सहती अपमान हूँ।
मालिक, तूने.......
आधा अधूरा भेजना था तो, हाथ पैर ही रख लिए होते। करुणा के वश होकर सब फिर, मन ही मन सब मेरे हाल पे रोते।
मालिक, तूने.......
आधा अधूरा भेजना था तो रख लिए होते मेरे नैन, तिरस्कार तो कोई न करता, सुख से कटते दिन और रैन।
मालिक, तूने.......
मैंने मालिक तेरी शान में, जाने क्या गुस्ताखी की है। स्रष्टि तेरी आगे चलाऊँ, नहींमुझको वो शक्ति दी है।
मालिक, तूने.......
छोटे से छोटे प्राणी भी, आगे अपना वंश चलायें। हम तो बस गैरों के घर में, पुत्र जन्म पर नाचें गाए।
मालिक, तूने.......
विनती मेरी सुन लो दाता, मैं भी हूँ तुम्हारी रचना। एसी सजा मत किसी को देना, बस मेरा है इतना कहना।
मालिक, तूने.......
मैंने मालिक तेरे हुक्म से, जहर का एसा घूँट पिया है। क्योंकि तूने जहां में मुझको, आधा अधूरा भेज दिया है।
मालिक, तूने.......
क्योंकि तूने जहां में मुझको, आधा अधूरा भेज दिया है।
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