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- Saeed Ahmad
- Saeed Ahmad, Date of Birth : August 09, 1963 Birth Place : Kanpur Marital Status : Married Cadre : NCC Profession : Journalism (Media consultant, Web & Print)
Thursday, 11 June 2015
आप प्रकृति के फूल, और किन्नर प्रकृति की भूल
जरा सोचिए आप को जीवनपर्यन्त किसी भयंकर मानसिक, सामाजिक और शारीरिक प्रताडना से गुजरना पडे और कारण के लिए आप नही प्रकृति उत्तरदायी है । तब आपके मन में इस दुनिया और दुनिया बनाने वाले ईश्वर, इस समाज और जन्म देने वाले माँ-बाप के प्रति क्या विश्वास पनपेगा। फिर भी यह समुदाय सभी से सब प्रकार की पीणा मिलने के बाद आशीष के लिए, दुआओं के लिए अपने हाथ उठाते है। क्षण भर के लिए ज़रा सोचिएं की जात-धर्म, ऊंच-नीच में घिरे समाज के बीच यह समुदाय किसी किन्नर को किसी भेदभाव के अपना लेते है। इतना ही नही ये किन्नर हर किसी की खुशी मे गाने-बजाने पहूँच जाते है, न उसकी जात देखते, न धर्म, न ऊँच-नीच और बदले मे इन्हे समाज क्या देता है घृणा और अपमान। इनके नाजो-नखरे देख अक्सर लोग हंस पड़ते हैं । अगर आप इनकी जिंदगी की असलियत जान ले तो शायद न किसी को हंसी आए और न ही उनसे घबराहट हो। आम इंसानों की तरह इनके पास भी दिल होता है, दिमाग होता है, इन्हें भी भूख सताती है, आशियाने की जरूरत इन्हें भी होती है । फिर भी उन्हें आम इंसानों की तरह नहीं समझा जाता, उन्हें बराबरी का दर्जा नहीं दिया जाता, उन्हें सरकार कोई आरक्षण नही देती, व्यवसायी वर्ग उन्हें नौकरी नहीं देता और तो और गाने बजाने और नाचने के अलावा कोई उनसे दोस्ती नहीं करता, उनसे बात नहीं करता क्योंकि वो समाज में हेय दृष्टि से देखे जाते है मानो वो कोई परग्रही हों। क्यों उन्हें इस तरह सामाजिक तिरस्कार झेलना पड़ता है ? क्यों समाज उनके प्रति लचीला रुख नहीं अपनाता ? सवाल बहुत से है लेकिन उत्तर नहीं।
आखिर किन्नर पैदा कैसे होते है ? “इक-एहसास” संस्था के एक शोध एवं आधुनिक विज्ञान के अनुसार हॉर्मोनस् और गुणसूत्रो की अनियमिता के कारण किन्नर जन्म लेते है । हर मनुष्य में नर और नारी दोनों के लिए आवश्यक हॉर्मोनस् होते है, उनका कम या ज्यादा का अनुपात ही कुछ को पूर्ण नर और कुछ को पूर्ण नारी बनता है l जहाँ ये अनुपात गड़बड़ा जाता है वही किन्नर जन्म लेता है ।
परन्तु यदि आध्यात्म की दृष्टि से देखा जाये तो, चंद्रमा, मंगल, सूर्य और लग्न से गर्भाधान का विचार किया जाता है। इसमें माना जाता है कि ग्रहों की कुद्रष्टि के कारण किन्नर जन्म लेता है। इसके अनुसार ।।।
1। शनि व शुक्र अष्टम या दशम भाव में शुभ दृष्टि से रहित हों तो किन्नर (नपुंसक) का जन्म होता है।
2। छठे, बारहवें भाव में जलराशिगत शनि को शुभ ग्रह न देखते हों तो किन्नर (नपुंसक) होता है।
3। चंद्रमा व सूर्य शनि, बुध मंगल कोई एका ग्रह युग्म विषम व सम राशि में बैठकर एका दूसरे को देखते हैं तो किन्नर (नपुंसक) जन्म होता है।
4। विषम राशि के लग्न को समराशिगत मंगल देखता हो तो वह न पुरुष होता है और न ही कन्या का जन्म।
5। शुक्र, चंद्रमा व लग्न ये तीनों पुरुष राशि नवांश में हों तो किन्नर (नपुंसक) जन्म लेता है।
6। शनि व शुक्र दशम स्थान में होने पर किन्नर (नपुंसक) होता है।
7। शुक्र से षष्ठ या अष्टम स्थान में शनि होने पर किन्नर (नपुंसक) जन्म लेता है।
8। कारज़ंश कुडली में ज़ेतु पर शनि व बुध की दृष्टि होने पर किन्नर (नपुंसक) होता है।
9। शनि व शुक्र पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो अथवा वे ग्रह अष्टम स्थान में हों तथा शुभ दृष्टि से रहित हों तो किन्नर (नपुंसक) जन्म लेता है।
जबकि आयुर्वेद के मुताबिक़ वीर्य की अधिकता से पुरुष (पुत्र) होता है। आर्तव की अधिकता से स्त्री (कन्या) होती है। शुक्र शोणित (रक्त और रज) का साम्य (बराबर) होने से नपुंसका का जन्म होता है।
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